
मनोज सैनी
हरिद्वार। भारतीय प्राच विद्या सोसाइटी कनखल हरिद्वार के प्रमुख श्री प्रतीक मिश्रपुर ने बताया की वैशाख शुक्ल सप्तमी के दिन मां गंगा स्वर्ग को छोड़कर पृथ्वी पर आई थी। भगवान ब्रह्मा के कमंडल से निकलकर भगवान विष्णु के चरणों को धोती हुई। भगवान शिव की जटाओं में इसी दिन आई थी। इस दिन सभी लोग गंगा जी का जन्मोत्सव मानते हैं। 26 अप्रैल दिन बुधवार को पुनर्वसु नक्षत्र में इस बार मां गंगा का जन्मोत्सव मान्य होगा। इस दिन सात प्रकार के फल, सात प्रकार की मिठाई, सात प्रकार के वस्त्र, नारियल दुग्ध, मां गंगा को अर्पण किए जाते है। यदि किसी के पुत्र नही है तो वो इस दिन गंगा जी से एक पत्थर लेकर घर पर यदि लाकर पूजा करता है तो एक वर्ष में पुत्र प्राप्ति होती है। इस दिन यदि गंगा में कोई कन्या सात प्रकार के रंग अर्पण करती के तो एक वर्ष में उसके फेरे हो जाते हे और वो सात फेरों के बंधन में बंध जाती है। यदि कोई बहुत निर्धन हे धन की इच्छा है तो इस दिन गंगा में सात प्रकार के वस्त्र नारियल सहित देता है तो वो धनिक हो जाता है। सात प्रकार की गंध जो इस दिन गंगा में अर्पित करता है मां गंगा उसकी कीर्ति चारो दिशाओं में बढ़ा देती हे। गंगा जी की पूजा मध्यान काल में होती है।11.50से लेकर 12 40 दोपहर का समय सबसे अच्छा मुहूर्त गंगा पूजन का है। सभी राशि के लोग गंगा जी पूजा से लाभ ले सकते हैं। सात डुबकी पूर्व मुख करके लगाने से इस दिन मां गंगा मोक्ष प्रदान करती है।
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