मनोज सैनी
हरिद्वार। काशी नागरी प्रचारिणी सभा वाराणसी द्वारा संचालित आर्य नगर ज्वालापुर स्थित सत्य ज्ञान निकेतन के संस्थापक स्वामी सत्यदेव परिव्राजक जी का स्मृति दिवस (पुण्य तिथि) श्रद्धा पूर्वक मनाया गया। गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के डॉ0 मनु देव बंधु ने वेद मंत्रोच्चारण के साथ हवन किया तथा उनके जीवन चरित्र पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि सत्य ज्ञान निकेतन में स्वामी जी द्वारा पुस्तकालय की स्थापना की गई थी। जिसमें हजारों पुस्तक थी। वर्तमान में रखरखाव के अभाव में जिसकी स्थिति जीर्ण शीर्ण हो गई है तथा पुस्तकों को दीमक ने समाप्त कर दिया। उन्होंने कहा कि नागरी प्रचारिणी सभा को इस पुस्तकालय को पुन: चालू करना चाहिए। सत्यदेव जी के बारे में उन्होंने कई रोचक तथ्य बताए। संस्था के केयरटेकर प्रभाकर मिश्रा ने बताया कि स्वामी सत्यदेव जी ने संन्यास लेने के उपरांत हिंदी के प्रचार प्रसार के लिए वर्ष 1934 में आर्य नगर ज्वालापुर में सत्य ज्ञान निकेतन नामक आश्रम की स्थापना की। स्वामी सत्यदेव जी ने अपने जीवन काल में काफी पुस्तकें लिखी। लहसुन बादशाह नामक पुस्तक आज भी काफी लोगो द्वारा पसंद की जाती है। इसमें उनके द्वारा लहसुन के गुण बताए गए हैं। सन् 1943 में सत्यज्ञान निकेतन को हिंदी के प्रचार प्रसार हेतु नागरी प्रचारिणी सभा वाराणसी को सौंप दिया। संस्था के केयर टेकर प्रभाकर मिश्रा द्वारा कार्यक्रम का संचालन किया गया। इस स्मृति दिवस में स्थानीय निवासियों ने भाग लिया।
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