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हरिद्वार नगर निगम का चर्चित भूमि घोटाला: डीएम कर्मेंद्र सिंह, एसडीएम अजयवीर और तत्कालीन एमएनए वरुण चौधरी निलंबित।

मनोज सैनी

हरिद्वार। जनपद हरिद्वार के बहुचर्चित नगर निगम जमीन खरीद घोटाले में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश के बाद हरिद्वार के जिलाधिकारी कर्मेंद्र सिंह, तत्कालीन नगर निगम के मुख्य नगर आयुक्त वरुण चौधरी और एसडीएम भगवानपुर अजय वीर सिंह को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।नगर निगम जमीन घोटाले मामले में अभी तक 2 आईएएस, एक पीसीएस सहित कुल दस अधिकारी निलंबित किए गए हैं और 2 का सेवा विस्तार खत्म किया गया है।

क्या है ये घोटाला

हरिद्वार नगर निगम द्वारा ग्राम सराय में कूड़े के ढेर के पास स्थित अनुपयुक्त 2.3070 हैक्टेयर भूमि को करोड़ों रुपये में खरीदने पर सवाल उठने के बाद, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस प्रकरण की जांच के आदेश दिए थे। जिसके बाद सचिव रणवीर सिंह चौहान ने मामले की प्रारंभिक जांच कर, रिपोर्ट 29 मई को ही शासन को सौंपी थी। इसी जांच रिपोर्ट के आधार पर मुख्यमंत्री ने कार्मिक विभाग को दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए थे। जिस पर कार्मिक एवं सतर्कता विभाग ने मंगलवार को सभी सात आरोपित अधिकारियों को निलंबित करने के आदेश जारी कर दिए।

मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद, कार्मिक विभाग ने मंगलवार को हरिद्वार नगर निगम के तत्कालीन प्रशासक और मौजूदा डीएम कर्मेंद्र सिंह, तत्कालीन नगर आयुक्त वरुण चौधरी, हरिद्वार के तत्कालीन एसडीएम अजयवीर सिंह, वरिष्ठ वित्त अधिकारी निकिता बिष्ट, वरिष्ठ वैयक्तिक सहायक विक्की, रजिस्ट्रार कानूनगो राजेश कुमार, हरिद्वार तहसील के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी कमलदास को निलंबित कर दिया है।

भूमि घोटाले में अभी तक ये हुए अधिकारी निलंबित

कर्मेन्द्र सिंह – जिलाधिकारी और तत्कालीन प्रशासक नगर निगम हरिद्वार (निलंबित)

वरुण चौधरी – तत्कालीन नगर आयुक्त, नगर निगम हरिद्वार (निलंबित)

अजयवीर सिंह- तत्कालीन, उपजिलाधिकारी हरिद्वार (निलंबित)

निकिता बिष्ट – वरिष्ठ वित्त अधिकारी, नगर निगम हरिद्वार (निलंबित)

विक्की – वरिष्ठ वैयक्तिक सहायक (निलंबित)

राजेश कुमार – रजिस्ट्रार कानूनगो, तहसील हरिद्वार (निलंबित)

कमलदास –मुख्य प्रशासनिक अधिकारी, तहसील हरिद्वार (निलंबित)

पहले इन अधिकारियों पर हो चुकी है कार्रवाई
रविंद्र कुमार दयाल- प्रभारी सहायक नगर आयुक्त (सेवा समाप्त)

आनंद सिंह मिश्रवाण- प्रभारी अधिशासी अभियंता (निलंबित)

लक्ष्मी कांत भट्ट्- कर एवं राजस्व अधीक्षक (निलंबित)

दिनेश चंद्र कांडपाल- अवर अभियंता (निलंबित)

वेदपाल- सम्पत्ति लिपिक (सेवा विस्तार समाप्त)

सीएम धामी ने कहा, ‘हमारी सरकार ने पहले ही दिन से स्पष्ट किया है कि लोकसेवा में “पद’ नहीं बल्कि ‘कर्तव्य’ और ‘जवाबदेही’ महत्वपूर्ण है। चाहें व्यक्ति कितना भी वरिष्ठ हो, अगर वह जनहित और नियमों की अवहेलना करेगा, तो कार्रवाई निश्चित है। हम उत्तराखंड में भ्रष्टाचार मुक्त नई कार्य संस्कृति विकसित करना चाहते हैं। सभी लोक सेवकों को इसके मानकों पर खरा उतरना होगा।

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