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मनसा देवी मंदिर दुर्घटना: हादसों का इतिहास रहा है हरिद्वार का। मनसा देवी मंदिर में लगभग 35 वर्ष पूर्व भी हुई थी दुर्घटना।

गोपाल रावत

हरिद्वार। आज मनसा देवी मंदिर की सीढ़िया पर हुई भगदड़ में 6 लोगों की जान चली गई। इस दुर्घटना से पहले कावड़ मेले के सकुशल निर्विघ्न संपन्न हो जाने पर जहां जिले के आला अधिकारी अपने पीठ थपथपा रहे थे वही आज की दुर्घटना ने उन्हें सकते में डाल दिया है। कावड़ मेले के औपचारिक समापन के पश्चात प्रशासन निश्चित हो गया था लेकिन उसे यह अनुमान नहीं था की श्रावण मास अभी समाप्त नहीं हुआ ।वास्तव में श्रावण मास के कृष्ण पक्ष में जो कि अभी खत्म हुआ था में हरियाणा ,पश्चिमी उत्तर प्रदेश ,दिल्ली, नोएडा क्षेत्र से अधिकांश कांवरिया आते हैं जबकि शुक्ल पक्ष जो की 24 जुलाई से शुरू हुआ है में बिजनौर, मुरादाबाद, बरेली, लखनऊ आदि क्षेत्र से कांवरिया आते हैं ।इस बार इनकी संख्या अप्रत्याशित रूप से बहुत अधिक थी जिसे प्रशासन संभालने में विफल रहा और यह हादसा हो गया।
वैसे हरिद्वार में भगदड़ से होने वाली दुर्घटनाओं का पुराना इतिहास रहा है मनसा देवी मंदिर में भगदड़ की यह दूसरी घटना है इससे पहले 1992 के अर्ध कुंभ से ठीक एक महीना पहले दिसंबर1991 में भी मनसा देवी की इन्हीं सीडियों पर भगदड़ हुई थी जिसमें पांच लोगों की जान चली गई थी और दर्जनों लोग घायल हो गए थे।तब भी प्रत्यक्ष दर्शियों ने बताया था कि अधिक भीड़ होने के कारण मंदिर के दरवाजे बंद कर दिए गए थे जिस कारण भगदड़ मच गई। आज की घटना भी इसकी पुनरावृत्ति ही है ।आज भी प्रत्यक्ष दर्शियों का कहना है कि मंदिर के दरवाजे बंद कर दिए गए थे जिस कारण भगदड़ मच गई।1991 की दुर्घटना की उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जांच आयोग गठित किया गया था उसकी रिपोर्ट में मनसा देवी मंदिर परिसर में अतिक्रमण को मुख्य कारण बताया गया था। आयोग ने मंदिर परिसर में फूल प्रसाद की दुकान रेस्टोरेंट तथा वहां लगी पानी की टंकी को हटाने की सिफारिश की थी। प्रशासन ने इस पर आंशिक कार्रवाई कर इति श्री कर दी।आज पुन इस दुर्घटना ने दोबारा वही प्रश्न खड़े कर दिए हैं।
दुर्घटनाओं की बात करें तो 1986 में कुंभ पर मुख्य स्नान 14 अप्रैल को पंत पुल जिसे तब चमगादड़ टापू पुल कहा जाता था पर भगदड़ में लगभग 52 लोग हताहत हुए थे। 1994 में गऊघाट पुल पर सोमवती अमावस्या पर हुई भगदड़ में लगभग 22 लोग मारे गए थे ।इन सभी घटनाओं पर बैठे जांच आयोग ने अपनी रिपोर्ट में इसका मुख्य कारण अतिक्रमण ही बताया था और कई सिफारिशें की थी लेकिन सब ठंडे बस्ती में ही पड़े रही।
अब इस दुर्घटना ने एक बार फिर बोतल से जिन्न बाहर निकाल दिया है ।शासन ने जांच बैठा दी है जिसकी रिपोर्ट का सब को इंतजार रहेगा।

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