हरिद्वार ब्यूरो
हरिद्वार। प्रदेश के बेरोजगारों को रोजगार देने की उत्तराखंड सरकार की वीर चंद्र सिंह गढ़वाली योजना भ्रष्टाचार की गंगोत्री बन चुकी थी। भ्रष्टाचार के चलते जब इस योजना में आये पात्र व्यक्तियों की जब सामाजिक कार्यकर्ताओं ने आरटीआई सूके जरिये सूचना मांगी तो उसमें जनपद हरिद्वार के कई बड़े भाजपा नेताओं, विधायकों के रिश्तेदारों द्वारा एवं अन्य पदाधिकारियों के नाम सामने आए थे जिसमें उन्होंने अपने आप को बेरोजगार दिखाकर इस योजना का लाभ लिया था जबकि वे इस श्रेणी में नहीं आते थे। तब आरटीआई मांगने वाले सामाजिक व्यक्ति ने इसकी शिकायत प्रदेश सरकार से की लेकिन अखबारों व कागजों में अपने आप को जीरो टॉलरेंस की सरकार बताने वाली टीएसआर सरकार ने इस मामले इन अभी तक भी गलत तरीके से लाभ उठाने वाले लोगों के खिलाफ कोई कार्यवाही नही की है। ऐसा लगता है कि टीएसआर सरकार केवल विपक्षियों व अपने अलोचकोंनके खिलाफ ही जीरो टॉलरेन्स के नीति अपनाते है लेकिन जब भाजपा के विधायक और कार्यकर्त भ्रष्टाचार की जद में आते हैं तो जीरो टॉलरेन्स गायब हो जाता है और मामले को दबा दिया जाता है।
अब वीर चंद्र सिंह गढ़वाली योजना में हुए भ्रष्टाचार के मामले में हरिद्वार के एक और सामाजिक कार्यकर्ता सतीश चन्द शर्मा ने इससे पर्दा उठाने और हाइकोर्ट से निष्पक्ष जांच कराने का बीड़ा उठाया है। समाज सेवी सतीश चन्द शर्मा ने बताया कि इस मामले में वरिष्ठ भाजपा नेता विकास तिवारी, रुड़की विधायक प्रदीप बत्रा और झबरेड़ा विधायक के करीबी रिश्तेदारों आदि का इस योजना में गलत तरीके से लोन लेने का नाम सामने आया था।
सतीश चंद शर्मा ने बताया कि चूंकि यह घोटाल पूरे प्रदेश का था इसीलिये इस वीर चंद्र सिंह गढ़वाली योजना की पूरे उत्तराखंड की जांच के लिये उन्होंने 2018 में हाई कोर्ट, नैनीताल में एक पीआईएल डाली थी लेकिन वह 25 फरवरी 2020 में सबमिट हुई थी और जिसमें 4 अगस्त 2020 को जजमेंट आया था। सतीश चंद शर्मा ने बताया कि सुनवाई के दौरान शासन ने अपना जवाब लगाया था कि वह इसकी निष्पक्ष जांच के लिये एक समिति का गठन करेंगे लेकिन सरकार ने कोई समिति नहीं बनाई। जब शासन ने इस घोटाले की जांच के लिये कोई समिति नहीं बनाई तो मजबूरन सतीश चन्द शर्मा ने 7 अक्टूबर 2020 को शासन से इस सम्बंध में एक आरटीआई के तहत सूचना मांग ली कि हाइकोर्ट के निर्देश वीर चन्द सिंह गढ़वाली योजना में हुई घोटाले की जांच के लिये आपने कौन सी कमेटी बनाई और उसमें कौन कौन शामिल है? दिलचस्प बात यह है कि शासन में बैठे अधिकारियों ने पहले मांगी गई सूचना को पेयजल विभाग को भेज दिया जबकि यह मामला पर्यटन विभाग से जुड़ा था। जब पेयजल से लिखित में इसका जवाब आया तो मजबूरीवश शासन को इसे पर्यटन विभाग को भेजना पड़ा।
पर्यटन विभाग से प्राप्त हुए पत्र के अनुसार मा0 उच्च न्यायालय नैनीताल में रिट पिटीशन(पीआईएल)सं0 49/2019 सतीश चंद शर्मा बनाम उत्तराखंड राज्य आदि में माननीय न्यायालय द्वारा दिनांक 4 अगस्त 2020 को पारित आदेश के क्रम में पर्यटन स्वरोजगार योजना में हुई कथित धांधली/ अनियमितता की जांच हेतु उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया है जिसमें अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी, उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद, देहरादून इसके अध्यक्ष होंगे, जब श्री अरुणेंद्र सिंह चौहान, अपर सचिव वित्त, उत्तराखंड व वित्त नियंत्रक, उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद, देहरादून इसके सदस्य होंगे। इसके साथ यह समिति उक्त प्रकरण की जांच 2 माह इन पूर्ण कर अपनी आख्या, संस्तुति शासन को उपलब्ध करा देगी। अब देेेखना है कि समिति कैसे और किस प्रकार अपनी जांच करती है?
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