
प्रभुपाल सिंह रावत
उत्तराखंड सरकार के मुखिया श्री पुष्कर सिंह धामी का बरसात के बाद बार-बार गढ्ढा मुक्त सड़कों का फरमान जारी होता रहता है। ठीक उसी प्रकार कुछ दिन पहले सरकार के मुखिया का आदेश प्रसारित हुआ कि अधिकारी 30 नवंबर तक प्रदेश की सड़कों को गढ्ढा मुक्त करें, ऐसा न करने पर निलम्बन की कार्रवाई अम्ल में लायी जायेगी लेकिन इस फरमान का कहीं भी कोई असर व प्रभाव देखने को नहीं मिला। लगता है कि ये आदेश सिर्फ वाह-वाही व अधिकारियों को डराने के लिए जारी किया था।
वैसे तो गढ्ढा युक्त सड़कों के अनगिनत मामले हैं लेकिन एक सड़क का मामला दिखाते हैं। ये सड़क जनपद पौड़ी गढ़वाल के रिखणीखाल क्षेत्र के अन्तर्गत दियोड पुल से गाडियू पुल के बीच का है।
इस सड़क पर जगह-जगह गहरे जख्म पड़े हैं तथा कीचड़ भरा हुआ है। इस सड़क पर सम्बन्धित लोक निर्माण विभाग की नजर अभी तक नहीं पड़ी। इस मार्ग पर सर्दियों में धूप के दर्शन भी नहीं होते। ये इस क्षेत्र की मुख्य सड़क है, पूरा आवागमन इसी सड़क से होता है। कई बार वाहन दुर्घटनाग्रस्त व कल पुर्जे टूट जाते हैं। लोग भी खूब चोटिल हो रहे हैं लेकिन सुनने वाला कोई नहीं मिलता। आम जनता मन मसोट कर चुप रहने में ही भलाई समझती है। लोग दबाव में रहते हैं। बुरा कोई नहीं बनना चाहता। महात्मा गांधी के तीन बन्दरों की कहानी याद आ जाती है। यह सड़क प्रान्तीय खंड लोक निर्माण विभाग लैंसडौन/ दुगड्डा के अधीन है। अब सवाल खड़ा होना भी लाजमी है कि जब सरकार के मुखिया के आदेशों का ही अनुपालन नहीं हो रहा है तो छोटे मोटे जनप्रतिनिधियों व आम जनता की तो दूर की बात है।
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