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हरीश रावत के पापों को धोने में त्रिवेंद्र सरकार को लगे पूरे 4 साल

मनोज सैनी

हरिद्वार। 14 दिसम्बर 2016 को उत्तराखंड की हरीश रावत सरकार ने होटल माफियाओं के दबाव में गंगा की एक धारा को स्कैप चैंनल घोषित कर दिया था। जिसका मां गंगा में आस्था रखने वालों ने जोरदार विरोध करते हुए इस शासनादेश को हरीश रावत का घोर पाप करार दिया था और हरीश रावत को श्राप भी दिया था कि इस पाप के बदले मां गंगा आपको कभी माफ नहीं करेगी। जिसके परिणाम स्वरुप 2017 में हरीश रावत सरकार का पतन ही नहीं हुआ वरन 70 में से 11 सीटों पर कांग्रेस भी सिमट गई और खुद हरीश रावत 2 जगहों से अपना चुनाव हार गये। 2017 में जब भारतीय जनता पार्टी की सरकार उत्तराखण्ड में आई तो उन्होंने हिन्दुओं की आस्थाओं को ध्यान में रखते हुए और मां गंगा के साथ हुए घोर पाप वाले शासनादेश को रद्द करने का एलान कर दिया था लेकिन उत्तराखंड की त्रिवेंद्र सरकार भी साल दर साल इस शासनादेश को रद्द करने के टाल मटोल करती रही जिस पर हरिद्वार के तीर्थ पुरोहितों के सब्र का बांध टूट गया और हरिद्वार के तीर्थ पुरोहितों ने इस शासनादेश को रद्द करवाने के लिये हर की पैड़ी पर अनिश्चितकालीन धरना देकर त्रिवेंद्र सरकार पर दबाव बनाया।

जिसका नतीजा ये हुए की त्रिवेंद्र सरकार ने चन्द दिनों पहले गंगा सभा के अध्यक्ष, महासचिव व अखाड़ा परिषद के पदाधिकारियों के सम्मुख मां गंगा को स्कैप चैंनल बताने वाले शासनादेश को रद्द करने का एलान कर दिया। जिस पर आज 2 दिसम्बर 2020 को उत्तराखण्ड सरकार के सचिव शैलेश बगौली ने हरीश रावत सरकार द्वारा 12 दिसम्बर 2016 में किये गए पापों को धोते हुए उस शासनादेश को विलोपित कर दिया। कहने का तात्पर्य है कि हरीश रावत के पापों को धोने के लिये त्रिवेंद्र सरकार को पूरे 4 साल लग गये।

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