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चुनावी बॉन्ड की आधी अधूरी जानकारी से भाजपा और मोदी सरकार की असलियत आई सामने, चंदे के बदले दिया धंधा। पाकिस्तान बेस कंपनी से भी लिया चंदा।

मनोज सैनी

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भारत के सबसे बड़े बैंक स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया ने चुनावी बॉन्ड से जुड़ी जो आधी अधूरी जानकारी चुनाव आयोग को दी है और चुनाव आयोग ने उसे अपनी वेबसाइट पर अपलोड किया है तभी से अपने आप को राष्ट्रभक्त बताने वाली भाजपा और मोदी सरकार की असलियत देश के सामने आ रही है। हैरानी की बात यह है की कथित राष्ट्रवादी पार्टी ने पाकिस्तान की कंपनी से भी चंदा लिया है वह भी तब जब देश में पुलवाना आतंकी हमला हुआ था। चुनावी बांड की जानकारी से कई चौंकाने वाले खुलासे हो रहे है। एस बीआई ने सुप्रीम कोर्ट में दिए अपने हलफनामे में बताया था कि कुल 22,217 इलेक्टोरल बॉण्ड बेचे गये थे लेकिन बैंक ने केवल 18,871 बॉण्ड की जानकारी ही दी है! बाक़ी 3,346 बॉण्ड की जानकारी क्यों छुपायी गई है?

गौर करने वाली बात है कि एसबीआई की ओर से कुल 22,217 इलेक्टोरल बॉन्ड बेचे गए। हर बॉन्ड के पीछे एक खुलासा है।

पहला खुलासा: 2 अप्रैल 2022 को ईडी ने फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज की 409 करोड़ की संपत्ति अटैच की और 7 अप्रैल 2022 को कंपनी ने 100 करोड़ का इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदकर चंदा दिया, किसको दिया होगा? कंपनी पर फिर रेड क्यों नहीं पड़ी?

दूसरा खुलासा: अप्रैल 2023 में मेघा इंजीनियरिंग ने करोड़ों का चंदा दिया और मई 2023 में मेघा इंजीनियरिंग को 14,400 करोड़ का प्रोजेक्ट मिल गया। मतलब चंदे के बदले कंपनी को धंधा मिला।

तीसरा खुलासा: 18 अगस्त 2022 को सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के मालिक पूनावाला ने एक ही दिन में 52 करोड़ का चंदा दिया और 22 अगस्त 2022 को मोदी जी ने उनसे मुलाकात की। फिर क्या तमाशा हुआ, देश जानता है। कोविड वैक्सीन पर सीरम इंस्टीट्यूट को मोनोपोली बख्शी गई।

चौथा खुलासा: खनन समूह वेदांता ने 400 करोड़ रुपये से ज्यादा के इलेक्टोरल बॉन्ड दान किए और फिर सरकारी कंपनी बीपीसीएल वेदांता को सौंप दी गई। मतलब चंदे के बदले पूरी सरकारी कंपनी ही दे डाली।

पांचवा खुलासा: नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी ने 90 करोड़ के बॉन्ड खरीदे और यही कंपनी उत्तराखंड में सुरंग बना रही थी जिसमें 41 मजदूर 17 दिनों के लिए फंस गए। कंपनी के खिलाफ कोई जांच तक नहीं हुई।

छठा खुलासा: गाजियाबाद स्थित यशोदा हॉस्पिटल पर कोविड के दौरान जनता से वसूली के आरोप लगे। यशोदा पर छापा पड़ा। यशोदा हॉस्पिटल ने 162 करोड़ बॉन्ड खरीदे और दान करके वॉशिंग मशीन में धुल गया।

सातवां खुलासा: टोरेंट पॉवर नाम की कंपनी ने 86.5 करोड़ का चंदा दिया और कंपनी को गुजरात में 47000 करोड़ का सरकारी प्रोजेक्ट मिल गया। मतलब चंदे के बदले ठेका।

आठवां खुलासा: आईआरबी इंफ्रास्ट्रक्चर नाम की कंपनी ने जुलाई 2023 में करोड़ों का चंदा दिया और कंपनी को अगले कुछ महीनों में लगभग 6000 करोड़ का प्रोजेक्ट मिला। मतलब चंदे दो धंधा लो।

नौवां खुलासा: पुलवामा हमले के बाद पाकिस्तान बेस कंपनी हब पावर कम्पनी ने में इलेक्टोरल बॉन्ड क्यों खरीदा और किसे चंदा दिया, इसकी जांच नहीं होगी। जैसे पुलवामा हमले की जांच कभी नहीं हुई।

दशवां खुलासा: दिसंबर, 2023 में शिरडी साई इलेक्ट्रिकल लि​मिटेड पर छापा पड़ा और जनवरी 2023 में शिरडी साई ने छप्पर फाड़कर चंदा दिया।

ये तो वो खुलासे हैं जो अभी तक जानकारी में आए हैं और पब्लिक डोमेन में देखे जा सकते हैं।

चुनावी बॉन्ड के नाम पर मोदी सरकार ने न जाने कितने बड़े घोटाले किए इसकी जानकारी तभी लग पायेगी जब एसबीआई द्वारा बेचे गए 22,217 इलेक्टोरल बॉण्ड की पुख्ता जानकारी सामने आयेगी।

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