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हरिद्वार पुलिस निष्पक्षता के साथ नहीं बल्कि शक्ल और पार्टी देखकर करती है मुकदमें दर्ज। महिला और आमजन के लिए न्याय मांगना हो गया अपराध।

मनोज सैनी

हरिद्वार। हरिद्वार पुलिस निष्पक्षता के साथ नहीं बल्कि शक्ल और पार्टी देखकर करती है मुकदमें दर्ज। न्याय मांगना हो गया अपराध। जी हां ये कोई मजाक नहीं आजकल हरिद्वार पुलिस शक्ल और पार्टी देखकर मुकदमें दर्ज कर रही है। कल दिन दहाड़े ज्वालापुर कोतवाली क्षेत्र में ब्राह्मण समाज की एक बुजुर्ग महिला की निर्मम हत्या कर दी गई थी, महिला की निर्मम हत्या और आरोपियों की जल्द से जल्द गिरफ्तारी की मांग को लेकर आज कोतवाली ज्वालापुर में वहां मौजूद पुलिस अधिकारी की मौखिक अनुमति के बाद कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने 1 घंटे का सांकेतिक धरना दिया। 1 घंटे के धरने के बाद कांग्रेस के सभी कार्यकर्ता कोतवाली से चले गए।
देर शाम को जानकारी लगी कि जिस अधिकारी ने धरने की मौखिक अनुमति दी उसी अधिकारी ने लगभग 25-26 कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर आचार संहिता के उल्लंघन और सरकारी कार्य में बाधा लिखकर एक तहरीर कोतवाली, ज्वालापुर में दे दी। जिस पर लगभग 25- 26 कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर मुकदमा भी दर्ज हो गया।

इसके उलट विगत 9 मई को शिवालिक नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी के कार्यालय में भाजपा कार्यकर्ताओं ने जबरन घुसकर अधिशासी अधिकारी, महिला कर्मचारियों के साथ खुलेआम गाली गलौच, अभद्रता की। यहां तक कि कार्यालय के बाहर ड्यूटी पर तैनात गार्ड के साथ हाथापाई भी की। अधिशासी अधिकारी, महिला कर्मचारियों, गार्ड के साथ हुई उक्त घटना की जानकारी जब अगले दिन पालिका के सफाई कर्मचारियों को लगी तो उन्होंने रानीपुर कोतवाली में नामों का खुलासा करते हुए लिखित में तहरीर दी, जिस पर कोतवाली प्रभारी ने जांच का नाम लेकर मामले को दबा दिया। चूंकि मामला सत्ताधारी दल से जुड़े नेताओं का था तो पुलिस ने तहरीर मिलने के बावजूद भी मुकदमा दर्ज नहीं किया। जबकि पुलिस खुद मौके पर मौजूद थी।

रानीपुर कोतवाली पुलिस को न तो भाजपा नेताओं द्वारा किया गया आचार संहिता का उल्लंघन दिखाई दिया और न सरकारी कार्य में बाधा। जब भाजपा सरकार में भाजपा के नेताओं की गुंडागर्दी से अधिकारी और महिलाएं ही सुरक्षित नहीं है तो कौन उनकी रक्षा करेगा।
आज जब कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने एक बुजुर्ग महिला की दिनदहाड़े हुई हत्या को लेकर मृत महिला और उनके परिवार के न्याय के लिए आवाज उठाई तो हरिद्वार पुलिस देखते ही देखते मुस्तैद हो गई और आनन फानन में मुकदमा भी दर्ज कर दिया। दोनों प्रकरणों से स्पष्ट है की हरिद्वार की पुलिस निष्पक्षता के साथ नहीं बल्कि शक्ल और पार्टी देखकर कार्य कर रही है।

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