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पहले चरण के मतदान के बाद खिसक गई भाजपा के पांव के नीचे से जमीन

भरत प्रजापति

पहले चरण के मतदान के बाद भाजपा के पाँव के नीचे से ज़मीन खिसक गई है। 400 पार का नारा देने वाली भाजपा को पहले ही चरण में करारा झटका लगा है। मतदाताओं का रूझान और भाजपा के पोलिंग बूथों पर सन्नाटा बताता है कि भाजपा ने नफरत की जो फसल बोई थी, जनता ने उसे नकार दिया है। सूत्र बताते हैं कि पहले चरण के मतदान के बाद, भाजपा के लिए ग्राउंड से बेहद ख़राब प्रदर्शन की खबरें आयीं हैं। इसी बीच पीएम के ट्वीट ने भी इस घबराहट पर मोहर लगा दी है। सुनने में आ रहा है कि देर रात मोदी, शाह और नड्डा की एक अहम बैठक बुलायी गई जिसमें किसी नई ‘रणनीति’ पर चर्चा की खबर है।

पहले चरण में 21 राज्यों की 102 सीटों पर मतदान हुआ और जितनी भी ग्राउंड रिपोर्ट अभी तक आयीं हैं, उनमें इंडिया गठबंधन एनडीए से बहुत आगे है। इंडिया गठबंधन और कांग्रेस ने तमिलनाडु, बिहार, महाराष्ट्र, राजस्थान और उत्तर प्रदेश तक में ज़बर्दस्त प्रदर्शन किया है। जो आस पास हो रहा है, वो बदलते हुए वक़्त का प्रतीक है। Axis-MyIndia के प्रदीप गुप्ता को अपना वह ट्वीट डिलीट करना पड़ा जिसमें भाजपा 13 राज्यों में अपना जनाधार खो रही है। भाजपा प्रत्याशियों का खुलेआम यह कहना कि मेहनत करनी पड़ेगी क्योंकि कोई मोदी फैक्टर नहीं है, यह बयान उसी बात की पुष्टि करता है जो हम लगातार कह रहे हैं। 10 साल सत्ता में रहने के बाद नरेंद्र मोदी के पास आज भी कांग्रेस को कोसने के सिवा कहने बताने को और कुछ नहीं है, कोई ऐसा काम नहीं किया जिसको गिनाये, कोई बड़ी उपलब्धि नहीं जिसपर चर्चा करें। इंटरव्यू से लेकर चुनावी सभाओं में भी मोदी बेहद थके, ऊबे और ऊर्जाविहीन नज़र आ रहे हैं, शायद उम्र का तक़ाज़ा हो। ऐसा लगता है जैसे एक बुजुर्ग आदमी को ज़बरदस्ती ठेला जा रहा है। नरेंद्र मोदी की रैलियों की बात करें तो ना रैलियों में तालियाँ बज रही हैं, ना इंटरव्यू से कोई बड़ी हैडलाइन निकल रही है। लाख कोशिशों के बावजूद नैरेटिव सेट नहीं कर पा रहे हैं, वही घिसी पिटी बातें, वही पुराने बयान। इधर राहुल गांधी ने नाक में दम कर रखा है, कभी गाड़ी में, कभी सड़क पर सीधे डायरेक्ट जनता से संवाद – उनकी बातों में ऊर्जा है। युवाओं को तो 100% विश्वास है कि अगर कुछ करेगा तो यही आदमी करेगा, बाक़ी किसी के बस की बात नहीं। कांग्रेस के बेरोजगारी, महंगाई, ग़रीबी को ख़त्म करने के प्लान पर लोगों को विश्वास हो चला है। देर से ही सही, लेकिन संविधान के साथ खिलवाड़ कितनी तबाही मचायेगा यह भी लोग समझ गये हैं। जनता सब समझती है, चुप रहती है और समय पड़ने पर बड़ा बदलाव करती है। उसी बड़े बदलाव की पहली आहट आज पहले चरण के मतदान के बाद ज़ोर ज़ोर से गूंज रही है।

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