
मनोज सैनी
देहरादून। एक आध अपवाद को छोड़कर अधिकतर राजनीतिज्ञों की राजनीति उनकी अंतिम सांस लेने पर ही खत्म होती है लेकिन उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत में अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर अपनी गतिविधियों को सीमित करने के बारे में क्या लिखा उनके समर्थकों में मायूसी छा गई। हरीश रावत द्वारा लिखे गए इस प्रकार के बयान को लोग अपने अपने तरीके से परिभाषित करने लगे हैं। इंदर सिंह लिखते हैं कि निर्णय तो उचित ही है लेकिन इससे पहले भी बहुत बार इस तरह के वक्तव्य आते रहे है और फिर ……..। गिरधर सिंह ने लिखा है कि सर आपके मार्गदर्शन के बिना वर्तमान में तो उत्तराखंड कांग्रेस कमेटी उभर नहीं सकती साथ ही आज प्रदेश के जो हालात हैं उसमें आपकी भूमिका महत्त्वपूर्ण है भविष्य की तो भगवान ही जाने। अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर लिखते हुए हरदा ने लिखा है कि “मैं जानता हूं कि स्वास्थ्य, साधन और समय, तीनों मुझसे बार-बार आग्रह कर रहे हैं कि मैं अपनी गतिविधियों को धीरे-धीरे सीमित करूं। मैंने सोचा था कि कांग्रेस के #भराड़ीसैंण/गैरसैंण कूच में मैं सशरीर उपस्थित नहीं रहूंगा, केवल भावनात्मक उपस्थिति रहेगी। उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जी का संदेश आया है कि ऐसा निर्णय अच्छा नहीं रहेगा अर्थात 13 मार्च, 2023 को मुझे #भराड़ीसैंण_कूच में कांग्रेस जनों के साथ उपस्थित रहना है, मैं रहूंगा भी। लेकिन एक बात मैं स्पष्ट तौर पर कह देना चाहता हूं कि धीरे-धीरे मुझे अपनी गतिविधियों को सीमित करना है। #सोशल_मीडिया के माध्यम से ही मैं, प्रदेश कांग्रेस और कांग्रेस की सेवा में उतना भर योगदान देता हूं जितना एक सक्रियतम नेता को देना चाहिए। हमारे पास राज्य में सक्षम नेताओं की अग्रिम पंक्ति मौजूद है। मैं उनको हार्दिक शुभकामना देकर धीरे-धीरे अपनी गतिविधियों को सीमित कर रहा हूं, आज नहीं तो कल!!
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